सारंगढ़ क्षेत्र में सरकारी जमीन पर और घने आबादी वाले बस्ती में लगा रहे जिओ टावर नियम-कानून ताक पर रख लगाए जा रहे टावर ।

दिनेश जोल्हे-
सारंगढ-। रायगढ़ जिले के सारंगढ क्षेत्र के ग्राम पंचायत कोतरी में बस्ती के बीच पर जिओ टावर लगा रहे है जमीन भी है सरकारी और मोबाइल टावर लगाने को लेकर पब्लिक का कहना था कि सरपँच बिना जांच पड़ताल के घनी आबादी वाले एरिया में मोबाइल टावर लगाने की परमिशन दे दिया है। टावर की लोकेशन के आसपास कई 5 से 7 परिवार निवासरत है जिससे रेडिएशन का असर बच्चों,बूढो सभी पर पड़ने का खतरा है। ग्राम में जानकारों ने बताया कि
शुक्लदेव सिदार नामक व्यक्ति का जमीन है जो ग्राम में बैगा का काम करते है जिसको गांव में जमीन दिया गया है वही बगल में ग्राम कोटवार का जमीन है कोटवार को आज तक पंजीयन नही दिया गया तो उसको कैसे मिल सकता है ये सोचने वाली बात है यहां जांच का विषय प्रश्नचिन्ह बन कर सामने आ रही है।
कहा लगाया जा रहा है जिओ टावर
सारंगढ से महज 4 किलोमीटर के दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत कोतरी जहा घने आबादी वाले बस्ती में बीचो बीच उधरा मार्ग पर जहा 50-60 व्यक्तियो का निवासरत है। जहां जिओ टॉवर लगाया जा रहा है।
“मुझे जानकारी बताया गया कि अपने निजी खेत पर टावर लगवाना है जिसका ऋण पुस्तिका मेरे पास है कहकर पंचायत से एनओसी दिया गया बाकी उनके बाड़ी साइड बनवाया जा रहा है बस्ती में सरकारी जमीन है या निजी मुझे नही मालूम।
सरजु जांगड़े सरपँच ग्राम पंचायत कोतरी
“आबादी बस्ती पर टावर लगवाया जा रहा है मोबाइल कम्पनी का उसके बगल में मेरा जमीन है जो कोटवारी जमीन है मुझे अभी तक पर्चा नही मिला है तो उसको भी नही मिला होगा सरकारी जमीन ही होगा।
विश्राम दास कोटवार,कोतरी
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स हैं खतरनाक
मोबाइल टावर से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स कैंसर का कारण बनती हैं। इस रेडिएशन से जानवरों पर भी असर पड़ता है। यही वजह है कि जिस एरिया में मोबाइल टावरों की संख्या अधिक होती है, वहां पक्षियों की संख्या कम हो जाती है। ग्रामीण अंचल में इसी वजह से मधुमक्खियां समाप्त हो गई हैं।
किस एरिया में नुकसान सबसे ज्यादा
एक्सपर्ट्स की मानें तो मोबाइल टावर के 300 मीटर एरिया में सबसे ज्यादा रेडिएशन होता है। एंटेना के सामनेवाले हिस्से में सबसे ज्यादा तरंगें निकलती हैं। जाहिर है, सामने की ओर ही नुकसान भी ज्यादा होता है। मोबाइल टावर से होने वाले नुकसान में यह बात भी अहमियत रखती है कि घर टावर पर लगे ऐंटेना के सामने है या पीछे। टावर के एक मीटर के एरिया में 100 गुना ज्यादा रेडिएशन होता है। टावर पर जितने ज्यादा एंटेना लगे होंगे, रेडिएशन भी उतना ज्यादा होगा।
रेडिएशन से ये होते हैं नुकसान
- थकान
- अनिद्रा
- डिप्रेशन
- ध्यान भंग
- चिड़चिड़ापन
- चक्कर आना
- याद्दाश्त कमजोर होना
- सिरदर्द
- दिल की धड़कन बढ़ता
- पाचन क्रिया पर असर
- कैंसर का खतरा बढ़ जाना
- ब्रेन ट्यूमर
टावर लगाने के ये हैं नियम
- छतों पर सिर्फ एक एंटीना वाला टावर ही लग सकता है।
- पांच मीटर से कम चौड़ी गलियों में टावर नहीं लगेगा।
- एक टावर पर लगे एंटीना के सामने 20 मीटर तक कोई घर नहीं होगा।
- टावर घनी आबादी से दूर होना चाहिए।
- जिस जगह पर टावर लगाया जाता है, वह प्लाट खाली होना चाहिए।
- उससे निकलने वाली रेडिएशन की रेंज कम होनी चाहिए।
- कम आबादी में जिस बिल्डिंग पर टावर लगाया जाता है, वह कम से कम पांच-छह मंजिला होनी चाहिए।
- टावर के लिए रखा गया जेनरेटर बंद बॉडी का होना चाहिए, जिससे कि शोर न हो।
- जिस बिल्डिंग की छत पर टावर लगाया जाता है, वह कंडम नहीं होनी चाहिए।
- दो एंटीना वाले टावर के सामने घर की दूरी 35 और बारह एंटीना वाले की 75 मीटर जरूरी है।
- मोबाइल कंपनियों को अभी लगे टावरों से उत्सर्जित विकिरण को 90 फीसद तक कम करना होगा।
- निर्देशों का उल्लंघन करने वाले पर 5 लाख रुपए प्रति टावर जुर्माना है।
बोलते हैं आंकड़े
-2010 में डब्ल्यूएचओ की एक रिसर्च में खुलासा हुआ कि मोबाइल रेडिएशन से कैंसर होने का खतरा है।
-हंगरी में साइंटिस्टों ने पाया कि जो बहुत ज्यादा सेलफोन इस्तेमाल करते थे, उनके स्पर्म की संख्या कम हो गई।
-जर्मनी में हुई रिसर्च के मुताबिक जो लोग ट्रांसमिटर ऐंटेना के 400 मीटर के एरिया में रह रहे थे, उनमें कैंसर होने की आशंका तीन गुना बढ़ गई। 400 मीटर के एरिया में ट्रांसमिशन बाकी एरिया से 100 गुना ज्यादा होता है।
-केरल में की गई एक रिसर्च के अनुसार मोबाइल फोन टावरों से होनेवाले रेडिएशन से मधुमक्खियों की कमर्शियल पॉपुलेशन 60 फीसदी तक गिर गई है