शोसल मिडिया में गरमाये एक आरक्षक की मौत आखिर क्या है सच्चाई…… हर कोई जानने को बेचैन…. पढ़िए पूरी खबर…देखिए… वीडियो…..

संजय शर्मा
रायगढ़ 22 म ई 2021 ।हाली में अभी कुछ दिनों से पुलिस विभाग के एक आरक्षक की हुई मृत्यु का चर्चा बहुत जोर शोर से सोशल मीडिया में चल रहा है। जिसमे सोशल प्लेटफार्म पंडितो के ज्ञान की पराकाष्ठा चरम पर है। कोई इसे साजिश बता रहा है,कोई इसे वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा हत्या करना, तो कोई C B I जॉच की मांग कर रहा है।
मृत्यु का सच तो सभी को जानना है..? लेकिन मजिस्ट्रेट जांच के पूर्व ज्ञान बघारना और अंजाम तक पहुँच जाना मूर्खता ही तो है।इन सबसे पहले यह जानना जरुरी हैं। कि वह आरक्षक कोन था..? और वो पुलिस अधीक्षक कौन है..? जिस पर आरोप लग रहा है..?
पुष्पराज सिंह जो विभाग के पद सोपान को ताक मे रख कर स्वेच्छा चरिता से नौकरी करना चाहा और अगर कोई उसके स्वेच्छा चरिता में खलल पैदा किया तो उसे सोशल प्लेटफॉर्म में विलेन की तरह पेश करने में कोई कमी नही करता, और अपने स्वार्थ सिद्धि में अपने साथी आरक्षकों के साथ अन्य लोगो से सहानिभूति बटोरने में भी कोई कमी नही करता था।
मानो ये उसकी मोडस अप्रेंडिस रही हो।
चाहे विभाग के किसी भी स्तर का अधिकारी हो, अगर उसके अनुशासन हीनता में प्रश्नचिन्ह लगाता तो अपने आरक्षक होने का रोना – रोकर और शोषण करने के मिथ्या कपोल कल्पित बातों को सोशल साइट्स में प्रचारित कर ब्लैकमेल करने से बाज भी नही आता था। हमने जब पूरे मामले का विश्लेषण किया तब पता चला कि

अप्रैल माह में आरक्षक की ड्यूटी पेशी ड्यूटी में लगी थी, इस जिम्मेदारी वाले ड्यूटी में भी वो फरार रहा, जहाँ शक्ति थाना प्रभारी ने उसकी अनुपस्थिति दर्ज की, बस बात यही से शुरू हुई, कि थाना प्रभारी कोई नकरात्मक रिपोर्ट तैयार कर पुलिस अधीक्षक महोदय जांजगीर को विभागीय कार्यवाही हेतु न भेज दे।
सिर्फ इसी डर से पहले थाना प्रभारी शक्ति के खिलाफ सोशल साइट में लिखा..? और उसके बाद पुलिस अधीक्षक जांजगीर के खिलाफ लिखा है, और कार्यवाही से बचने के लिए आदतानुसार माहौल बनाकर सहानुभूति बटोरने का काम चालू था। और इधर वरिष्ठ अधिकारियों के उपर दबाव भी बना रहा था। उक्त आरक्षक द्वारा पुलिस विभाग के कर्मचारियों के हित कोई सकारात्मक पहल की हो, ऐसा कभी सुनने में नही आया लेकिन विभाग से बगावत के लिए हमेशा चर्चा में रहा है।


पुलिस विभाग एक अनुशासन का विभाग है। जहाँ पद सोपान का महत्व है। और प्रत्येक स्तर पर अपने वरिष्ठ की बात मानना और पालन करना पदीय कर्तव्य भी है।
अब आरक्षक की मृत्यु कैसे हुई..? क्यों हुई..? इस पर पोस्टमार्टम के इंतजार करना चाहिए। जबकि इस सम्पूर्ण घटना का प्रत्यक्षदर्शी गवाह भी है..? जो घटना के बारे में सच बता रहा है..? कि कैसे आरक्षक की दुर्घटना हुई है..?

अब बात पुलिस अधीक्षक महोदया जांजगीर की करे तो ये अफसर अब तक के कार्यकाल में बेदाग और शानदार नेतृत्व क्षमता, अपने अधीनस्थों की हमेशा चिंता और सहयोग करने वाली है।
पता नही क्यों इनको इस पूरे मामले में घसीटा जा रहा है..? जबकि पुष्पराज सिंग के विरुद्ध कोई भी कार्यवाही इनके कार्यकाल में नही हुआ है..? बल्कि इतने बगावती स्टाफ को इनके द्वारा सहानुभूतिपूर्वक थाना में पदस्थाना दी गई। अगर मंशा में कोई खोट होती तो पुलिस लाइन में रख कर सड़ा भी सकती थी।
इन सबके बावजूद किसी राजनीतिक द्वेष , या पद प्राप्ति की लालसा,या मुद्दे की तलाश करने वालो लोगो के द्वारा न जाने क्यों षडयंत्र रचा जा रहा है। शायद ये अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए पुलिस विभाग की छवि के साथ व्यक्तिगत छवि भी खराब करने में तुले है। उक्त आरक्षक की आकस्मिक मृत्यु होने से परिजनों एवं साथियों का व्यथित होना स्वाभाविक है। परन्तु भावनाओं में बहकर एकतरफा आरोप लगाना व कपोल कल्पित बातें कहना कहाँ तक उचित है।
किसी महिला अधिकारी के खिलाफ सोशल प्लेटफार्म में अनाप – शनाप टिप्पणी करना वैसे भी हमारी भारतीय संस्कृति, मर्यादाओं , एवं नारी आत्मसम्मान के विरुद्ध कुठाराघात है..?
अतः उनके विरुद्ध लिखने से पहले उक्त घटना की जांच रिपोर्ट आने से पहले सोशल मीडिया ट्रायल करना लोगों की कुत्सित मानसिकता को प्रदर्शित करता है..? जांच रिपोर्ट भविष्य की कोख में है..?
लेकिन जिस दिन सच सामने आयेगा उस दिन ये सब मुँह लटकाये ही नजर आएंगे।
भूमि भास्कर किसी तरह का इस खबर को लेकर कोई दावा नहीं कर रहा है, विडिओ मे जिस प्रकार की जानकारी दिया जा रहा है बस उसे लोगों तक पहुचानें का प्रयास है।