सारंगढ़ सीईओ साहब से शिकायत के बावजूद भी कार्यवाही नहीं “अंधेरे नगरी चौपट राजा का खेल”….पढ़िए पूरी खबर……

सीईओ साहब कृपया ध्यान दे! जांच करने गए जनपद के करारोपण अधिकारी हो गए गायब…38 दिन बाद भी नही पहुचा जनपद तक जांच प्रतिवेदन
सारंगढ 9 july 2021 । सचिव कुसुमलता कुर्रे ने अपने देवर व नॉन वेंडर के नाम पर 14 वें वित्त योजना का आये सरकारी राशि का पंचायत राज अधिनियम के नियम को दरकिनार कर अपने निजी व्यक्ति अपने देवर को भुगतान किया गया था। जिसकी लिखित शिकायत जनपद सीईओ सारंगढ कार्यलय में दिया गया था। जिस शिकायत पर जनपद से जांच दल में जगनन्थिया प्रसाद सोनवानी और रमेश सोनवानी को भेजा गया था ।

जिसमें शिकायत कर्ता को सूचित दिया गया शिकायत कर्ता भी पहुचे लेकिन जांच प्रतिवेदन आज पर्यन्त तक सीईओ दफ्तर तक नही पहुच पाया आखिर जांच प्रतिवेदन को जांच करता अधिकारी निगल गया ? या फिर सीईओ दफ्तर में पड़े पड़े दिमग चाट गया?

जगनन्थिया प्रसाद सोनवानी और रमेश सोनवानी ये दोनों करारोपण अधिकारी पर हमेशा प्रश्न चिन्ह
सारंगढ जनपद में ऐसे ऐसे सीईओ के नीचे कर्मचारी है जिन्हें न तो सीईओ की डर और न हि कलेक्टर साहब का फिर तो शिकायत कर्ता की बात ही छोड़ो उनका क्या छोटे से शिकायत कर्ता ही तो है 2,4 दिन में मामला शांत हो जाएगा और दोनो करारोपण को चम्मच भर भर के चाशनी मिल जाएगा। आखिर ऐसा क्यो क्या अधिकारी ही इनकी मनोबल को बढ़ाने में सक्रियता दिखा रहे है या अधिकारी का संरक्षक मिल रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार दोनो करारोपण अधिकारियों ने ग्राम पंचायत साल्हे में मुर्गा पार्टी किया था क्या ये सब के वजह से आज पर्यन्त तक जांच प्रतिवेदन नही पहुच पाया सीईओ दफ्तर या माजरा कुछ और है।

जनपद में सैकड़ो शिकायत लेकिन जांच एक मे भी नही
अगर सरकार की आये का आप लाभ लेना चाहोगे तो भूल जाइए क्योंकि , यहां न तो आपको लाभ मिलेगा और न ही हिसाब क़िताब क्योंकि सारंगढ जनपद में अधिकारी राज चल रहा है। ये हम नही कह रहे बल्कि शिकायत किये हुए प्रतिवेदन कह रहा है कि 38 दिवस गुजर जाने के बाद भी आज तक कोई action नही कोई जवाब तलब की प्रतिवेदन नही इश्का मतलब यही है कि सब मिली जुली है।

जांच प्रतिवेदन 15 दिवस के भीतर जमा करने का था निर्देश
ग्राम पंचायत साल्हे में हुए नॉन वेंडर और वेंडर के खेल में सचिव अपने निजी व्यक्ति अपने देवर के नाम पर राशि का भुगतान करके गबन कर लिया गया है। अगर गबन नही किया रहता तो सरकारी नियम को जरूर अपनाता जबकि जनपद सीईओ से निकला हुआ पत्र साफ साफ कह रहा है कि 15 दिवस के भीतर जमा करे , लेकिन ऐसा नही हुआ तो अब देखना यह होगा कि इन भ्रष्टाचार में संलिप्त सरपँच और सचिव को बचाने वाले करारोपड ऊपर क्या कारवाही किया जाएगा या इनको भी अभयदान की चिट्ठा में समा देंगे।
