रायगढ़ जिले में सवारी की कमी से थम गए बसों के पहिए

हेमन्त पटेल
रायगढ़ 6 मई 2021। लाक डाउन में जिला प्रशासन ने परिवहन को छूट दिए है। शहर के केवड़ाबाड़ी, सारंगढ़, चक्रधर नगर अन्य स्थानों से गंतव्य जाने वाले बस का परिचालन बस आपरेटरो सवारी नही मिलने पर बंद कर दिए है। बस परिवहन परिचालन बंद होने से इसका सीधा असर इससे जुड़े हुए चालक परिचालक, कन्डेक्टर व एजेंट के सामने आर्थिक संकट की परिस्थिति उतपन्न हो गया है क्योंकि कोरोना काल मेसंक्रमण के चलते दफ्तर, शहर को बंद रखा लोग संक्रमण की गिरफ्त में आने से बचने के लिए आवागमन को बंद कर दिए है
गौरतलब है कि जिले के तीनों बस स्टैंड से लगभग 130 से अधिक बस का परिचालन होता है। यहां से चलने वाली बस यूपी बिहार झारखंड एवं ओडिसा जाती है। तो प्रदेश के भी विभिन्न जिले में सरपट दौड़ती है लेकिन कोरोना ने परिवहन का एक मात्र साधन को हो थाम दिया है । हालांकि 14 अप्रैल से लगे लाक डाउन में कुछ दिनों तक बस चलते रहे किंतु बसो में यात्रियों का टोटा है जिससे स्टाफ और डीजल का खर्च भी नही निकल पा रहा है। ऐसे में बस आपरेटर अब सिटी बस चलाने में असमर्थ होना व एक दो दिन में सवारी की संख्या न बढ़ने पर बसो का संचालन बन्द कर दिए। यह समस्या लाक डाउन बढ़ते ही बस संचालको के लिए दोहरी परेशानी का सबब बन गया है। जिसमें बस का कस्त शासन को देने वाले विभिन्न टेक्स पर कोई छूट नही मिली जिसे उन्हें हर हाल में भरना है। इसके साथ ही इन बस से जुड़े लोगो की आर्थिक आजीविका ही छीन गया अब चालक परिचालक घर लौट गए है तो कंडक्टर व एजेंट मुफलिसी की मार झेल रहे है कुछ लोग घर परिवार को चलाने के लिए सब्जी फल व अन्य व्यवसाय करते हुए अपने परिवार का लालन पालन करते हुए दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर रहे है।
बस मालिक टैक्स माफ करने की कर रहे है मांग
बस परिचालन लाक डाउन में सवारियों के नही मिलने से बंद होने के बाद अब बस संचालक द्वारा शासन से म टैक्स व कस्त को पूरी तरह से माफ करने का मार्मिक गुहार लगा रहे है। इनका कहना है कि अगर बस का परिचालन होता तो जैसे तैसे कस्त व अन्य टैक्स का पूर्व की तरह भुगतान होता लेकिन अब स्थिति विकट है, छूट नही मिलने से कर्ज तले दब जाएंगे जिससे उबरना हर किसी बस संचालनकर्ता के लिए आसान नही होगा
बस और स्टैंड से जुड़े लोगो की हालत दयनीय
जिले में 50 से अधिक बस आपरेटर जिनके द्वारा जिले व बाहरी जिले में सैकड़ो बसों का संचालन किया जाता है। इन बसों में ड्राइवर, कलीनर, कंडक्टर समेत अजेंट कार्य करते है। जिन्हें रोज प्रति ट्रिप व फेरा के हिसाब से मेहनताना दिया जाता है। इन्हीं बस परिचालन से जीवन यापन होता है। लेकिन बस सेवा लॉक डाउन में सवारी नही मिलने से बंद होने से इनकी आर्थिक स्थिति बदहाल हो गई है।
बस स्टैंड में एजेंट का कार्य करता हूं बस का परिचालन लाक डाउन के चलते नही हो पा रहा है क्योंकि संक्रमण और लाक डाउन है लोग घर से नही निकल रहे है। इससे हमारे सामने आर्थिक संकट पहाड़ की तर्ज पर खड़ा हो गया है। शासन प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए जिससे हमारा घर परिवार चल सके
रायगढ़ से अम्बिकापुर निजी बस में कंडक्टर का कार्य करता था बस नही चल रही है तो घर मे बेरोजगार बैठा हूं। घर परिवार को चलाना मुश्किल हो गया है। अगर जल्द ही कुछ नही होता है तो आगे चलकर भूखे मरने की नौबत आएगी। प्रशासन को हर निर्णय हर वर्ग के हित को सोचकर लेना चाहिए
मनोज यादव, कन्डक्ट
बस का चालन वर्षो से करते आ रहा हूं अब कोरोना के चलते दूसरी बार घर पर बैठने की मजबूरी हो गई है। लॉक डाउन स्व पहले बस चल रही थी लेकिन अब लाक डाउन में कोई दफ्तर व शहर बंद होने से कोई सफर करना नही चाह रहा है यह हम जैसे वर्ग के लिए प्रशासन का वज्रपात के रूप पड़ रहा है